सुभाष गर्ग M.A ज्योतिष वास्तु सलाहकार परिचय

यह एक देवयोग था या एक संयोग कि आज से लगभग 40 वर्ष पूर्व जिज्ञासा वश अचानक हस्तरेखा की एक पुरानी पुस्तक मैंने खरीद ली। तभी से हस्तरेखा-ज्योतिष मेरा एक शौक बन गया। शुरू में मित्रों, सम्बन्धियों के हाथ देखने शुरू किये तथा वे मेरे विश्लेषण का अनुमोदन करते रहे। तब मैें विषय का और गहराई से अध्ययन करने लगा।

1975 में 18 वर्ष की उम्र में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता के रूप में तानाशाही एमर्जेन्सी के विरुद्ध सत्याग्रह करके स्वयं आगे बढ़ कर गिरफ्तारी दी। जमांनत पर रिहा होने के कारण पुन 15 दिन बाद सत्याग्रह करकेगिरफ्तारी दी। 1976 में तीसरी बार डप्ै। में गिरफ्तार किया गया तथा जेल में 11 महीने हमारे जैसे हजारों कार्यकर्ताओं को देश के बड़े नेताओं सुन्दर सिंह भंडारी, हंसराज गुप्त, मदनलाल खुराना, रजत शर्मा, अरुण जाटली डॉ.सतपाल चुघ, डॉ. चद्रंकातं भारदवाज के मार्गदर्शन का अवसर मिला ।
जेल में लोकमान्य बालगंगाधर तिलक का गीता भाष्य अध्ययन, ज्योतिष अध्ययन व कुछ देश भक्ति की कवितायेँ लिखीं ।1977 में जेल से रिहा होने बाद अटल बिहारीय बाजपेयी, डॉ.सतपाल चुघ, डॉ. चद्रंकातं भारदवाज के साथ मेरी कुछ कविता संग्रह आंधी और अंगारे प्रकशित हुआ ।
1977 में जनता पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में अटलबिहारीय बाजपेयी के नई दिल्ली लोक सभा चुनाव छेत्र में कार्य किया
1977 - 1980 के मध्य आकाशवाणी पर ज्योतिष विषय पर प्रसारित मेरे कार्यक्रमों ने मेरा उत्साह और भी बढ़ाया।
1972 से मैं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का कार्यकर्ता रहा, लेकिन ज्योतिष और सामाजिक कार्य में मुझे कोई अंतर नहीं महसूस हुआ क्योंकि दोनों का उद्द्देश्य व्यक्ति व समाज का विकास है, तभी से हस्त रेखा, अंक ज्योतिष, ज्योतिष व वास्तुशास्त्र की पुस्तकों का अध्ययन, अनुभव तथा सबकी जिज्ञासा, शंका व समस्याओं का समाधान का क्रम निरंतर चल रहा है। 1980 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से एम.ए. इंग्लिश शिक्षा पूर्ण करने के बाद, व्यावसायिक व पारिवारिक जीवन के साथ भारतीय ज्योतिष की परंपरा को आगे बढ़ाने का प्रयास जारी है।
प्रकाशित पुस्तिकायें
-महालक्ष्मी पर्व दिवाली, नवरात्र व श्राद्ध-
इन महा लोक पर्वों, व्रतांे का वैज्ञानिक विवेचन


ज्योतिष वास्तु -शास्त्रीय व वैज्ञानिक विवेचन
नरेंद्र मोदी, सचिन तेंदुलकर, ऐश्वर्या राय आदि की उदाहरण कंुडलियों सहित-
कर्म और पुनर्जन्म का सम्बन्ध, ज्योतिष, वास्तु, अंक ज्योतिष, 16 संस्कारों का प्राकृतिक, शास्त्रीय, व वैज्ञानिक विवेचना और उसके बारे में प्रचलित भ्रान्तियाँ दूर करने की कोशिश गया है। जिससे हमारा श्रद्धा व विश्वास सुदृढ़ व सफल हों।

आंधी और अंगारे
अटल बिहारीय बाजपेयी, डॉ.सतपाल चुघ, डॉ. चद्रंकातं भारदवाज सुभाष गर्ग की 1975 की तानाशाही के विरुद्ध जेल में लिखी गई कविताओं का सग्रंह
अटल बिहारीय बाजपेयी, डॉ.सतपाल चुघ, डॉ. चद्रंकातं भारदवाज सुभाष गर्ग लिखी गई कविताओं का सग्रंह


Dr. shruti Lecturer Delhi University ..9810858380
। आज से लगभग 12 वर्ष पूर्व जब मैंे ड.।. म्बवदवउपबे कर रही थी तब मेरे चिंतित माता-पिता ने अपनी मान्यताओं को एक तरफ रख मेरे विवाह के लिये सुभाष जी से परामर्श लिया। उनके सरल ज्योतिष उपायों के अनुसार- मैंने माता पार्वती की साधना की तथा अपना मनपसंद जीवन साथी पाया। सुखी प्रसव साधना से मेरी लड़की व लड़के का जन्म बहुत ही आराम से हो गया तथा पारिवारिक जीवन व पीजीटी टीचर की नौकरी करते हुए, मुश्किलों के बाद भी उनके मानसिक सहयोग तथा सरस्वती साधना से मैं अपनी पी.एच.डी. करने में सफल रही। अब दिल्ली विश्वविद्यालय में लैक्चरार हूँ, सुभाष जी की विशेषता यह है कि वे अत्यंत साधारण व सरल उपाय बताते हैं, उन्होंनें मेरी उप्लब्धियों में एक बहुत बड़ा रोल है।
राजीव कुमार गोविल M.Tech U.P Govt.अलीगढ 09454456119
मैं ज्योतिष पर बिलकुल भी विश्वास नहीं करता था लेकिन जब सुभाष जी ने मेरी पूर्व जीवन की घटनाओं के बारे में काफी सही बातें बताई तब मेरा अविश्वास विश्वास में बदल गया। तब उन्होने सरलता से उत्तर दिया कि ये मेरी नहीं भारतीय ज्योतिष शास्त्र की महानता है। उसके बाद से लगातार उनके बताये उपायों सेें अपनी मानसिक व सामाजिक समस्योें का समाधान कर काफी राहत महसूस करता हूँ।

Wednesday, August 7, 2013

परिचय: यह एक देवयोग था या एक संयोग कि आज से लगभग 40 वर्ष पूर्व जिज्ञासा वश अचानक हस्तरेखा की एक पुरानी पुस्तक मैंने खरीद ली। तभी से हस्तरेखा-ज्योतिष मेरा एक शौक बन गया। शुरू में मित्रों, सम्बन्धियों के हाथ देखने शुरू किये तथा वे मेरे विश्लेषण का अनुमोदन करते रहे। तब मैें विषय का और गहराई से अध्ययन करने लगा। 1977 - 1980 के मध्य आकाशवाणी पर ज्योतिष विषय पर प्रसारित मेरे कार्यक्रमों ने मेरा उत्साह और भी बढ़ाया। 1972 से मैं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का कार्यकर्ता रहा, लेकिन ज्योतिष और सामाजिक कार्य में मुझे कोई अंतर नहीं महसूस हुआ क्योंकि दोनों का उद्द्देश्य व्यक्ति व समाज का विकास है, तभी से हस्त रेखा, अंक ज्योतिष, ज्योतिष व वास्तुशास्त्र की पुस्तकों का अध्ययन, अनुभव तथा सबकी जिज्ञासा, शंका व समस्याओं का समाधान का क्रम निरंतर चल रहा है। 1980 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से एम.ए. इंग्लिश शिक्षा पूर्ण करने के बाद, व्यावसायिक व पारिवारिक जीवन के साथ भारतीय ज्योतिष की परंपरा को आगे बढ़ाने का प्रयास जारी है।

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